अभियन्ता दिवस (इंजीनियर्स डे) || Engineers Day

अभियन्ता दिवस (इंजीनियर्स डे) Engineers Day

भारत में प्रतिवर्ष 15 सितंबर को अभियन्ता दिवस (इंजीनियर्स डे) के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भारत के महान अभियन्ता एवं भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्मदिन है।


एम् विश्वेश्वरैया भारत के महान इंजिनियरों में से एक थे, इन्होंने ही आधुनिक भारत की रचना की और भारत को नया रूप दिया। उनकी दृष्टि और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में समर्पण भारत के लिए कुछ असाधारण योगदान दिया।


दुनिया के अन्य क्षेत्र में इंजिनियर डे –

क्रमांक देश तारीख

1. अर्जेंटीना 16 जून
2. बांग्लादेश 7 मई
3. बेल्जियम 20 मार्च
4. कोलंबिया 17 अगस्त
5. आइसलैंड 10 अप्रैल
6. ईरान 24 फ़रवरी
7. इटली 15 जून
8. मैक्सिको 1 जुलाई
9. पेरू 8 जून
10. रोमानिया 14 सितम्बर
11. तुर्की 5 दिसम्बर

शुरुआती जीवन -

विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1860 में मैसूर रियासत में हुआ था, जो आज कर्नाटका राज्य बन गया है इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थे इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक महिला थी जब विश्वेश्वरैया 15 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया था चिकबल्लापुर से इन्होंने प्रायमरी स्कूल की पढाई पूरी की, और आगे की पढाई के लिए वे बैंग्लोर चले गए 1881 में विश्वेश्वरैया ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज, बैंग्लोर से बीए की परीक्षा पास की इसके बाद मैसूर सरकार से उन्हें सहायता मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में इंजीनियरिंग के लिए दाखिला लिया 1883 में LCE और FCE एग्जाम में उनका पहला स्थान आया (ये परीक्षा आज के समय BE की तरह है)

मोक्षमुंडम विश्वेश्वरैया करियर –

इंजीनियरिंग पास करने के बाद विश्वेश्वरैया को बॉम्बे सरकार की तरफ से जॉब का ऑफर आया, और उन्हें नासिक में असिस्टेंट इंजिनियर के तौर पर काम मिला एक इंजीनियर के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम किये उन्होंने सिन्धु नदी से पानी की सप्लाई सुक्कुर गाँव तक करवाई, साथ ही एक नई सिंचाई प्रणाली ‘ब्लाक सिस्टम’ को शुरू किया. इन्होने बाँध में इस्पात के दरवाजे लगवाए, ताकि बाँध के पानी के प्रवाह को आसानी से रोका जा सके उन्होंने मैसूर में कृष्णराज सागर बांध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ऐसे बहुत से और कार्य विश्वेश्वरैया ने किये, जिसकी लिस्ट अंतहीन है

1903 में पुणे के खड़कवासला जलाशय में बाँध बनवाया इसके दरवाजे ऐसे थे जो बाढ़ के दबाब को भी झेल सकते थे, और इससे बाँध को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता था इस बांध की सफलता के बाद ग्वालियर में तिगरा बांध एवं कर्नाटक के मैसूर में कृष्णा राजा सागरा (KRS) का निर्माण किया गया कावेरी नदी पर बना कृष्णा राजा सागरा को विश्वेश्वरैया ने अपनी देख रेख में बनवाया था, इसके बाद इस बांध का उद्घाटन हुआ जब ये बांध का निर्माण हो रहा था, तब एशिया में यह सबसे बड़ा जलाशय था

1906-07 में भारत सरकार ने उन्हें जल आपूर्ति और जल निकासी व्यवस्था की पढाई के लिए ‘अदेन’ भेजा उनके द्वारा बनाये गए प्रोजेक्ट को अदेन में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया. हैदराबाद सिटी को बनाने का पूरा श्रेय विश्वेश्वरैया जी को ही जाता है उन्होंने वहां एक बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की, जिसके बाद समस्त भारत में उनका नाम हो गया उन्होंने समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की रक्षा के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी

विश्वेश्वरैया को मॉडर्न मैसूर स्टेट का पिता कहा जाता था इन्होने जब मैसूर सरकार के साथ काम किया, तब उन्होंने वहां मैसूर साबुन फैक्ट्री, परजीवी प्रयोगशाला, मैसूर आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, श्री जयचमराजेंद्र पॉलिटेक्निक संस्थान, बैंगलोर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एवं यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग की स्थापना करवाई इसके साथ ही और भी अन्य शैक्षिणक संस्थान एवं फैक्ट्री की भी स्थापना की गई. विश्वेश्वरैया ने तिरुमला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण के लिए योजना को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी

व्यक्तित्व –

•एम् विश्वेश्वरैया जी बहुत साधारण तरह के इन्सान थे

•जो एक आदर्शवादी, अनुशासन वाले व्यक्ति थे वे शुध्य शाकाहारी और नशा से बहुत दूर रहते थे

•विश्वेश्वरैया जी समय के बहुत पाबंद थे, वे 1 min भी कही लेट नहीं होते थे

•वे हमेशा साफ सुथरे कपड़ों में रहते थे उनसे मिलने के बाद उनके पहनावे से लोग जरुर प्रभावित होते थे

•वे हर काम को परफेक्शन के साथ करते थे यहाँ तक की भाषण देने से पहले वे उसे लिखते और कई बार उसका अभ्यास भी करते थे।

•वे एकदम फिट रहने वाले इन्सान थे 92 साल की उम्र में भी वे बिना किसी के सहारे के चलते थे, और सामाजिक तौर पर एक्टिव भी थे।

•उनके लिए काम ही पूजा थे, अपने काम से उन्हें बहुत लगाव था।

•उनके द्वारा शुरू की गई बहुत सी परियोजनाओं के कारण भारत आज गर्व महसूस करता है, उनको अगर अपने काम के प्रति इतना दृढ विश्वास एवं इक्छा शक्ति नहीं होती तो आज भारत इतना विकास नहीं कर पाता।

•भारत में उस ब्रिटिश राज्य था, तब भी विश्वेश्वरैया जी ने अपने काम के बीच में इसे बाधा नहीं बनने दिया, उन्होंने भारत के विकास में आने वाली हर रुकावट को अपने सामने से दूर किया था।

                  EngineersDay:इंजीनियर्स डे का महत्व, जानिए कैसे हुई शुरुआत


भारत हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे मनाता है। इस दिन इजीनियर्स द्वारा देश में किए उनके योगदानों को सराहा जाता है। देश के निर्माण में और हमारी रोजमारा के कामों को आसान बनाने के लिए ये इंजीनिर्स ही होते है जो नई-नई चीजों का इनोवेशन करते हैं। इंजीनियर्य डे भारत के महान इंजीनियर एम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस के दिन मनाया जाता है। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया द्वारा किए महान कार्यों के लिए उन्हें भारत सरकार ने 1955 में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित भी किया है। आइए जाने इस दिन के महत्व और इतिहास के बारे में। पहला इंजीनियर्स डे 1968 में मनाया गया था।

इंजीनियर्स डे का इतिहास और महत्व

इंजीनियर्स डे मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस पर हर साल 15 सितंबर को मनाया जाता है। इन्हें सर एम विश्वेश्वरैया के नाम से भी जाना जाता है। 1861 में जन्म एम विश्वेश्वरैया ने अपनी स्कूली शिक्षा मुद्दनहल्ली में ही पूरी करी जहां उनका जन्म हुआ था। उसके बाद उन्होंने बीए डिग्री प्राप्त कर इंजीनियरिंग की ओर कदम बढ़ाया और पुणें के कॉलेज ऑफ साइंस से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। उन्हों ने इस क्षेत्र में कई महान कार्य करें थे। जिसकी वजह से उनके जन्म दिवस को इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया गया। उन्हें भारत के पहले इंजीनियर कहा जाता था।

1903 में उन्होंने खाद्य आपुर्ति और भंडारण को उच्च स्तर तक बढाने के लिए पुणे के पास खडकवासला जलाशय में पानी के फ्लडगेट और सिंचाई प्रणाली को स्थापित किया। इस सिचांई प्रणाली को उनके द्वारा डिजाइन किया गया था। जिसे उन्होंने पेटेंट भी करवाया था। इसके बाद उन्होंने ग्वालियर के तिगरा बांध और मैसूर के कृष्णराज सागर बांध में सिंचाई प्रणाली का स्थापना की। उन्होंने आधुनिक भारत के बांधों, जलाशयों और जल-विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश के निर्माण में सहायता की है।

इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपने योगदान के अलावा, उन्होंने शिक्षा में भी अपना भरपूर योगदान दिया और इसी के साथ उन्होंने दो पुस्तके भी लिखी जो इस प्रकार हैं- "रिकंस्ट्रक्टिंग इंडिया" जिसका प्रकाशन 1920 में हुआ था और "प्लांड इकोनॉमी ऑफ इंडिया" इसका प्रकाशन 1934 में हुआ था। उन्हें उनके इस प्रकार के योगदान के लिए उन्हें 1915 में जब वह मैसूदा के दिवान थे "नाइट" से सम्मानित किया गया था और 1955 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।


1962 में भारत के महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का निधन हुआ था। साल 1968 को इस दिन को इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया और उसी साल भारत ने अपना पहला नेशनल इंजीनियर्स डे मनाया। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में इतने महान कार्य किए कि उनका जन्मदिवस भारत के अलावा श्रीलंका और तंजानिया भी 15 सितंबर को अपनी इंजीनियर्स डे मनाता है। इस प्रकार के उन्के योगदानों के कारण आज उनका जन्मदिवस इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाया जाता है। इंजीनियर्स के लिए इस दिन का अपना ही महत्व होता है।

भारत के अलावा इन देशों में मनाया जाता है अभियंता दिवस 

अभियंता दिवस सिर्फ भारत में ही नहीं मनाया जाता बल्कि कई अन्य देशों में भी यह दिवस मनाया जाता है। जैसे कि- अर्जेंटीना में 16 जून को, बांग्लादेश में सात मई को, इटली में 15 जून को, तुर्की में पांच दिसंबर को, ईरान में 24 फरवरी को, बेल्जियम में 20 मार्च को और रोमानिया में 14 सितंबर को अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, यह दिवस दुनियाभर के इंजीनियरों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है, ताकि वो देश-दुनिया को अपने हुनर की बदौलत तरक्की की नई राह पर ले जाएं। 

भारत में इंजीनियर्स दिवस : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 प्रश्न: भारत में राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर: भारत में, राष्ट्रीय इंजीनियर्स दिवस हर साल 15 सितंबर को मनाया जाता है।

 Q: भारत में किसके जन्मदिन को राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है?

 उत्तर: सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिन को भारत में राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है।


 इंजीनियर्स डे : बेस्ट कोट्स

 हमने इस इंजीनियर दिवस पर आपके लिए सर्वश्रेष्ठ उद्धरणों की एक सूची तैयार की है जिसे आप अपने इंजीनियर दोस्तों के साथ साझा कर सकते हैं या इस शब्द को फैलाने के लिए व्हाट्सएप और फेसबुक स्थिति के रूप में डाल सकते हैं।

 "विज्ञान ब्रह्मांड में मौजूद चीजों के बारे में आवश्यक सत्य की खोज कर रहा है, इंजीनियरिंग उन चीजों को बनाने के बारे में है जो कभी अस्तित्व में नहीं थीं।"  [एलोन मस्क]।

 "सफल इंजीनियरिंग यह समझने के बारे में है कि चीजें कैसे टूटती हैं या विफल होती हैं।"  [हेनरी पेट्रोस्की]।

 "छठे दिन भगवान ने देखा कि वह यह सब नहीं कर सकता, इसलिए उसने इंजीनियरों को बनाया।"  [लोइस मैकमास्टर बुजॉल्ड]।

 "सॉफ्टवेयर कलात्मकता और इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन संयोजन है।"  [बिल गेट्स]।

 "विज्ञान जानने के बारे में है, इंजीनियरिंग करने के बारे में है।"  [हेनरी पेट्रोस्की, अमेरिकी इंजीनियर]।

 "इंजीनियर सपनों को हकीकत में बदलते हैं।"  [हायाओ मियाजाकी]।

 मैं अपना समय उच्च-अवधारणा वाली चीजों के बारे में प्रमाणित करने में नहीं लगाता;  मैं अपना समय हल करने वाली इंजीनियरिंग और निर्माण में बिताता हूं।" [एलोन मस्क]।

 इसके मूल में, इंजीनियरिंग रचनात्मक, व्यावहारिक समाधान खोजने के लिए विज्ञान का उपयोग करने के बारे में है।  यह एक नेक पेशा है।" [क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय]।

 विज्ञान हम सभी का मनोरंजन कर सकता है और मोहित कर सकता है, लेकिन यह इंजीनियरिंग ही है जो दुनिया को बदल देती है।"  [इसहाक असिमोव]।

 इंजीनियरों को समस्याओं को हल करना पसंद है।  यदि कोई समस्या आसानी से उपलब्ध नहीं है, तो वे अपनी समस्याएँ स्वयं निर्मित करेंगे।" [स्कॉट एडम्स]।


मैंने भी बेंगलुरु से इंजीनियरिंग किया है इंजीनियरिंग कॉलेज HKBK कॉलेज of Engineering जो कि बेंगलुरु में स्थित है मैंने यहां से 2015 में पास आउट किया।

मेरा ब्रांच Electronics of communication engineering था।

कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ली गई कुछ तस्वीरें उनकी झलकियां....


English Summary

Engineers Day is celebrated on the birthday of the great engineer of India, M Visvesvaraya. For the great work done by Mokshagundam Visvesvaraya, he has also been honored by the Government of India with the Bharat Ratna Award in 1955. Let us know about the importance and history of this day. The first Engineers Day was celebrated in 1968.

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