Purnea district (पूर्णिया जिला) मिनी दार्जिलिंग Bihar(बिहार) India(भारत)


Purnia : चलिए आपको ले चलते हैं कालापानी से लेकर मिनी दार्जिलिंग तक की उपाधि वाले जिले में


                Welcome to Purnea

लोक रचनाकार के रूप में ख्यात और हिंदी फिल्म को हीरामन जैसा चरित्र देने वाले फणीश्वर नाथ ' रेणु ' का जन्म बिहार के अररिया जिले में हुआ था. अब का यह अररिया जिला रेणु के जन्म के समय पूर्णिया का हिस्सा था।

पूर्णिया (Purnia) शहर बिहार (Bihar) में है और राज्य की राजधानी पटना (Patna) से महज 300 किलोमीटर दूर है. शहरी और ग्रामीण आबादी के मामले में पूर्णिया शहर बिहार का चौथा सबसे बड़ा शहर है. कृषि इस जिले के निवासियों की मुख्य आजीविका है. यह अलग बात है कि हाल के वर्षों में यहां की महिलाओं ने रेशम का उत्पादन शुरू कर इस इलाके को एक नई पहचान दिलाने की कोशिश की है।

इतिहास

पूर्णिया के बारे में

पूर्णिया जिले को बिहार राज्य के 3202.31 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में शामिल किया गया है। यह उत्तर में अररिया जिले, दक्षिण में कटिहार और भागलपुर जिले, पश्चिम में मधेपुरा और सहरसा जिले और पश्चिम बंगाल के पश्चिम दिनाजपुर जिले और पूर्व में बिहार के किशनगंज जिले की सीमा पर है। यह 25 डिग्री 13 मिनट 80 सेकंड और 27 डिग्री 7 मिनट 59 सेकंड उत्तर अक्षांश और 86 डिग्री 59 मिनट 6 सेकंड और 87 डिग्री 52 मिनट 35 सेकंड पूर्वी देशांतर के बीच है। 2011 में पूर्णिया में 3,264,619 की जनसंख्या थी, जिसमें पुरुष और महिलाएं क्रमशः 1,69 9, 370 और 1,565,24 9 थीं। 2001 की जनगणना में, पूर्णिया की आबादी 2,543, 9 42 थी जिसमें पुरुष 1,328,417 और शेष 1,215,525 महिलाएं थीं। जिला को 4 उप-विभाजन, 14 ब्लॉकों, 251 ग्राम पंचायत और 12 9 6 गांवों में विभाजित किया गया है। कोसी और महानंद नदी और उनकी सहायक नदियों ने जिले के विभिन्न हिस्सों को सिंचाई की।

                      सिटी काली मंदिर

चूंकि कृषि पूर्णिया के लोगों का मुख्य व्यवसाय है। इस क्षेत्र में उगाए जाने वाले फसल धान, जूट, गेहूं, मक्का, मूंग, मसूर, सरसों का अलसी, चीनी गन्ना और आलू हैं। पूर्णिया जिले की जूट प्रमुख नकदी फसल है। नारियल, केला, आम, अमरूद, नींबू, जैक फलों, अनानस और केले जैसे फल पौधे यहां भी उगाए जाते हैं। पूर्णिया में पशुओं, बकरी, गाय और सुअर की देखभाल बहुत लोकप्रिय है बिहार में यह सबसे ज्यादा मुर्गी और अंडे पैदा करता है। बनमनखी में चीनी मिल और 716 अन्य लघु उद्योग उद्योग पूर्णिया के लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। पूर्णिया जिले को सड़क और रेल सेवाओं का उपयोग करके पहुंचा जा सकता है। जिले का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन कटिहार है, और पूर्णिया भी राष्ट्रीय राजमार्ग सं। 31 से भारत के विभिन्न राज्यों के साथ जुड़ा हुआ है।

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इतिहास

पूर्णिया का एक समृद्ध हिंदू इतिहास और एक गौरवशाली अतीत है। मुगल शासन के दौरान पूर्णिया एक निर्जन सैन्य प्रांत था, इसकी राजस्व उत्तर और पूर्व की जनजातियों के खिलाफ अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए अधिकतर खर्च करती थी। कलकत्ता के कब्जे के बाद, उसके स्थानीय गवर्नर ने सिराज उद-दौलह के खिलाफ 1757 में विद्रोह किया। 1765 में, बंगाल के बाकी हिस्सों के साथ, जिला ब्रिटिश कब्जे बन गया। पूर्णिआ अपनी विशिष्ट रूप से डिजाइन रामकृष्ण मिशन के लिए प्रसिद्ध है, जहां अप्रैल माह में दुर्गा पूजा उचित समर्पण और सम्मान के साथ मनाई जाती है। पूर्णिया भी माता पुराण देवी के प्राचीन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो मुख्य शहर से शायद ही 5 किमी दूर है। एक सिद्धांत है कि पूर्णिया को उस मंदिर से अपना नाम मिला है कुछ लोगों का मानना है कि पूर्णिया पूर्ण-अरन्य थे जो “पूर्ण जंगल” के लिए खड़ा था, और यही वजह है कि इसका नाम पूर्णिया है।


पिछले दिनों सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के बाद एकबार फिर से बिहार का पूर्णिया जिला सुर्खियों में रहा है. दरअसल, सुशांत सिंह राजपूत का जन्म इसी पूर्णिया में हुआ था. लेकिन क्या पूर्णिया की पहचान महज यही है या इससे इतर पूर्णिया का अपना कोई गौरवशाली इतिहास भी रहा है? इतिहास के आईने में पूर्णिया बहुत विशाल जिला हुआ करता था. यह भारत के सबसे पुराने जिलों में से एक है. पूर्णिया के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ रामेश्वर प्रसाद ने कई बरस की अनथक मेहनत के बाद यह मान्यता दी कि पूर्णिया जिले की स्थापना 14 फरवरी 1770 को हुई थी. आपको ध्यान होगा कि इस वक्त मुगल शासन अपने अवसान पर था. इसी समय ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1757 में पलासी और 1764 में बक्सर की लड़ाई लड़ी. इस जंग में बंगाल के नवाब मुगल बादशाह और अवध के नवाब को मुंह की खानी पड़ी और ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल सम्राट से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी अपने नाम करा ली थी. पूर्णिया जिले की विशालता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि तब के पूर्णिया जिले में आज के पूर्णिया, अररिया (Araria), कटिहार (Katihar) और किशनगंज (Kishanganj) जिले शामिल थे, इसके अलावा बंगाल में दार्जिलिंग तक का इलाका भी इस जिले का हिस्सा था. हमसब जानते हैं कि लोक रचनाकार के रूप में ख्यात और हिंदी फिल्म को हीरामन जैसा चरित्र देने वाले फणीश्वर नाथ ' रेणु ' (Phanishwar Nath 'Renu) का जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के अररिया जिले में फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना गांव में हुआ था. खास बात यह है कि अब का यह अररिया जिला रेणु के जन्म के समय पूर्णिया जिले का हिस्सा था।

बापू की पूर्णिया यात्रा

इतिहास बताता है कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने अपने जीवन में तीन बार पूर्णिया की यात्रा की. 1925, 1927 और 1934 में वे पूर्णिया आए थे. यहां 13 अक्टूबर 1925 में बापू की पूर्णिया यात्रा का जिक्र विशेष रूप से करना जरूरी है. इस यात्रा में बापू पूर्णिया शहर से 25 मील दूर एक गांव विष्णुपुर गए थे. उन्होंने इस दिन यहां एक पुस्तकालय का उद्घाटन किया था. एक जनसभा भी की थी. बापू को सुनने के लिए हजारों लोग जुटे थे. दिन में हुई जनसभा के बाद शाम में वे मातृ मंदिर नाम के पुस्तकाल में गए. उसका उद्घाटन किया. चौधरी लालचंद जी ने अपनी पत्नी की स्मृति में इस पुस्तकालय की स्थापना की थी.


रानीपतरा में सर्वोदय आश्रम

पूर्णिया जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर रानीपतरा में ऐतिहासिक सर्वोदय आश्रम है. कहते हैं कि आजादी से पूर्व महात्मा गांधी भी इस जगह पर आए थे. इसके बाद विनोबा भावे ने सर्वोदय आश्रम में कई महीने तक रहकर भूदान आंदोलन का संचालन किया था।


जेपी ने कराया था पत्नी का इलाज

यहां के प्राकृतिक चिकित्सालय में जय प्रकाश नारायण ने तीन महीने तक रहकर अपनी पत्नी का इलाज करवाया था. बाद के दिनों में बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह का भी यहां आगमन हुआ था. 1957 में यहां उन्होंने पुस्तकालय की स्थापना करवाई थी. यह अलग बात है कि आज यह पुस्तकालय दो गुटों के वर्चस्व की लड़ाई की भेंट चढ़ रहा है. इस जगह पर रेशम, खादी वस्त्र, तेल पेराई, चरखा से लेकर कई तरह के लघु और कुटीर उद्योग चलते थे, लोभ की स्थानीय राजनीति ने इस ऐतिहासिक धरोहर को बहुत नुकसान पहुंचाया है।



कालापानी और मिनी दार्जिलिंग

पूर्णिया के बारे में यह जानना बहुत रोचक है कि एक तरफ तो इसे बिहार का मिनी दार्जिलिंग कहा जाता है, दूसरी तरफ कभी यह कालापानी के रूप में कुख्यात था. दरअसल पूर्णिया का भूगोल बहुत अनोखा रहा है. यह तीन नदियों के त्रिकोण से घिरा हुआ है. सिर पर हिमालय पर्वत है. नदियों और हिमालय की वजह से यहां का मौसम हमेशा खुशनुमा बना रहता है. यहां पर मई-जून में ज्यादा गर्मी नहीं होती है. अगर एक-दो दिन तेज गर्मी रही भी तो फिर बारिश हो जाती है. यहां गर्मी के महीने में भी हवा तेज चलती है और उसमें काफी नमी भी होती है. कह सकते हैं यहां का मौसम दार्जिलिंग से मिलता-जुलता और यही वजह है कि पूर्णिया को बिहार का मिनी दार्जिलिंग कहा जाता है।

भौतिक विशेषताऐं

अक्षांश 25 ° -13′-80 “~ 27 ° -07′-59” एन
देशांतर 86 ° -59′-06 “~ 87 ° -52′-35” ई
ग्रामीण क्षेत्र 2800.10 वर्ग किलोमीटर
शहरी क्षेत्र 400.21 वर्ग किलोमीटर
कुल क्षेत्र 3202.31 वर्ग किलोमीटर
सागर-स्तर 171.2 फीट ऊपर ऊँचाई
सामान्य वर्षा 1,470.4 मिमी
औसत वर्ष में 73 दिनों के बारिश के दिनों की संख्या


कैसे पहुंचा जाये

पूर्णिया जंक्शन रेलवे स्टेशन पूरीिया जिले में स्थित है, बिहार के भारतीय राज्य में स्थित है। यह देश के उत्तरी हिस्से के भीतर एक मजबूत संपर्क बनाए रखता है, क्योंकि यह उत्तर फ्रंटियर रेलवे के कटिहार जंक्शन का एक हिस्सा है। कटिहार जंक्शन सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक है। पड़ोसी रेलहेड हैं – पूर्णिया कोर्ट और रानीपत बागडोगरा हवाईअड्डा भी इस रेलवे के करीब है, इस प्रकार यात्री बिना किसी समस्या के यहां पहुंच सकते हैं। इस स्टेशन के माध्यम से लगभग 4 एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं, अर्थात् पूर्णा बानमंकी पैसेंजर, जोगबनी कटिहार पैसेंजर, कटिहार जोगबनी यात्री, सीमांचल एक्सप्रेस, और कोलकाता चितपुर-जोगबनी एक्सप्रेस।


पार्क


गुलाबबाग मंडी बाजार

ये मंडी बहुत ही मशहूर है इसका नाम एशिया लेबल पर आता है
गुलाब बाग एशिया का सबसे बड़ा अनाज मंडी के रूप में उभर रहा है जो पूर्णिया जिला मुख्यालय से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर पूरब में स्थित है। पूर्णिया शहर से गुलाब बाग फोर लेन सड़कों से जुड़ा है। पूर्णिया जिला 3 नेशनल हाईवे (NH 31, NH 57 & NH 107) से जुड़ा हुआ है।

मॉल स्टोर बाज़ार Mall Store

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