Vishwakarma Jayanti || विश्वकर्मा जयंती || विश्वकर्मा पूजा
Vishwakarma Jayanti : विश्वकर्मा जयंती पर क्यों करनी चाहिए सभी को पूजा, इन उपायों को जरूर पढ़े
विश्वकर्मा पूजा: जानें महत्व और जन्म की कहानी
त्योहार मुख्य रूप से कारखानों और औद्योगिक क्षेत्रों में मनाया जाता है, अक्सर दुकान के फर्श पर। न केवल अभियन्ता और वास्तु समुदाय द्वारा बल्कि कारीगरों, शिल्पकारों, यांत्रिकी, स्मिथ, वेल्डर, द्वारा पूजा के दिन को श्रद्धापूर्वक चिह्नित किया जाता है। औद्योगिक श्रमिकों, कारखाने के श्रमिकों और अन्य। वे बेहतर भविष्य, सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों और सबसे बढ़कर, अपने-अपने क्षेत्र में सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। श्रमिक विभिन्न मशीनों के सुचारू संचालन के लिए भी प्रार्थना करते हैं।
श्री विश्वकर्मा पूजा दिवस, एक हिंदू भगवान विश्वकर्मा, दिव्य वास्तुकार के लिए उत्सव का दिन है। उन्हें स्वायंभु और विश्व का निर्माता माना जाता है।उन्होंने द्वारका के पवित्र शहर का निर्माण किया जहां कृष्ण ने शासन किया, पांडवों की माया सभा, और देवताओं के लिए कई शानदार हथियारों के निर्माता थे।उन्हें निर्माणकार्ता, इंजीनियर , वैज्ञानिक जगतकार्ता ईश्वर कहते हैं। इन्हीं से पाँच वैज्ञानिक , निर्माणकार्ता हुये अनेक वैज्ञानिक , निर्माणकार्ता है। ', ऋग्वेद में उल्लेख किया गया है, और इसे यांत्रिकी और वास्तुकला के विज्ञान, स्टैप्टा वेद के साथ श्रेय दिया जाता है। विश्वकर्मा की विशेष प्रतिमाएँ और चित्र सामान्यतः प्रत्येक कार्यस्थल और कारखाने में स्थापित किए जाते हैं।सभी कार्यकर्ता एक आम जगह पर इकट्ठा होते हैं और पूजा (श्रद्धा) करते हैं। विश्वकर्मा पूजा के तीसरे दिन हर्षोल्लास के साथ सभी लोग विश्वकर्मा जी की प्रतिमा विसर्जित करते हैं।
इस शुभ योग में होगी पूजा (Vishwakarma Jayanti Muhurat)
इस साल भगवान विश्वकर्मा की पूजा जिस दिन है, उसी दिन यानी कि 17 सितंबर को ही सूर्य कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। यानी कि विश्वकर्मा पूजा के साथ कन्या संक्राति भी मनाई जाएगी। इसी के साथ इस दिन रवि योग भी बन रहा है। इन शुभ के बीच की गई विश्वकर्मा पूजा को परमफलदायी माना जा रहा है।
दुनिया के पहले वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा
भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है और उन्होंने कई पौराणिक इमारतों की रचना की थी। भगवान विश्वकर्मा ने ही इंद्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक, लंका और जगन्नाथपुरी का निर्माण करवाया था। उन्होंने ही भगवान शिव का त्रिशूल और विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र तैयार किया था। इसलिए सभी इंजीनियर और मशीनों से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा को अपना भगवान मानते हैं।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व (Vishwakarma Jayanti Significance)
शास्त्रों में विश्वकर्मा पूजा का महत्व बहुत ही खास माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जिन घरों, कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है वहां पर मां लक्ष्मी का भी वास होता है और ऐसे संस्थान सदैव मुनाफे में रहते हैं। तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग भी विश्वकर्मा जयंती पर अपने औजारों और टूल्स की पूजा करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से उनके औजार बिना किसी बाधा के अच्छे से काम करते हैं।
क्यों सबके लिए जरूरी है विश्वकर्मा पूजा
कलियुग में भगवान विश्वकर्मा की पूजा इसलिए जरूरी मानी गई है कि क्योंकि आज के युग में हर व्यक्ति तकनीक से जुड़ा हुआ है। मोबाइल, टैब और लैपटॉप के बिना भी कोई काम संभव नहीं है। छात्र हों या फिर घरेलू महिलाएं सभी के जीवन में तकनीक का खास महत्व है। इसलिए विश्वकर्मा जयंती पर पूजा करना सभी के लिए आवश्यक है।
विश्वकर्मा पूजा विधि मंत्र सहित (Vishwakarma Jayanti Vidhi and Mantra)
भगवान विश्वकर्मा के बारे में बताया गया है कि यह देवताओं के अस्त्र-शस्त्र, महल और आभूषण आदि बनाने का काम करते हैं। भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दिन कारखानों, ऑफिस और उद्योगों में लगी हुई मशीनों की पूजा की जाती है। सबसे पहले अक्षत अर्थात चावल, फूल, मिठाई, फल रोली, सुपारी, धूप, दीप, रक्षासूत्र, पूजा की चौकी, दही और भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर की व्यवस्था कर लें। पूजा की चौकी पर चावल के आटे से अष्टदल रंगोली बनाएं। इसके ऊपर 7 प्रकार के अनाज रखें। इसके ऊपर विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। हाथ में अक्षत लेकर कहें
ओम भगवान विश्वकर्मा देव शिल्पी इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव।
चावल की ढेरी पर मूर्ति या तस्वीर जो भी हो, रखें। फिर मन में यह विश्वास जगाकर कि भगवान विश्वकर्मा आपके सामने हैं उन्हें नमस्कार करें और फिर पूजा करें।औजारों पर तिलक और अक्षत लगाएं फिर फूल चढ़ाएं।
आरती
- ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
- सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा॥
- आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
- शिल्प शस्त्र का जग में,ज्ञान विकास किया ॥
- ऋषि अंगिरा ने तप से,शांति नही पाई।
- ध्यान किया जब प्रभु का,सकल सिद्धि आई॥
- रोग ग्रस्त राजा ने,जब आश्रय लीना।
- संकट मोचन बनकर,दूर दुख कीना॥
- जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
- सुनकर दीन प्रार्थना,विपत्ति हरी सगरी॥
- एकानन चतुरानन,पंचानन राजे।
- द्विभुज, चतुर्भुज,दशभुज,सकल रूप साजे॥
- ध्यान धरे जब पद का,सकल सिद्धि आवे।
- मन दुविधा मिट जावे,अटल शांति पावे॥
- श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
- कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥
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